चांद के दीदार को तरसीं आंखें, ईदुलफित्र 11 को
chand-ka didar
भिलाई। माहे रमजान की विदाई के पल में मंगलवार की शाम लोगों की नजरें आसमान पर टिकी रही। 29 रमजान पर कहीं से भी चांद देखे जाने की खबर नहीं आई। ऐसे में अब 30 रोजे पूरे कर 11 अप्रैल को ईदुल फित्र मनाई जाएगी। शहर व आसपास की तमाम मस्जिदों-ईदगाहों में ईदुलफित्र की विशेष नमाज की तैयारियां की जा रही है। नमाज के लिए अलग-अलग वक्त मुकर्रर कर दिया गया है। जिससे नमाजी वक्त पर नमाज में शामिल हो सके।
मंगलवार की शाम अफ्तार से पहले और बाद में भी मस्जिदों और घरों में लोग आसमान की ओर टकटकी लगाकर देखते रहे। हालांकि भिलाई में आसमान में बदली होने की वजह से भी लोगों को मायूस होना पड़ा। दुर्ग-भिलाई में कहीं भी चांद दिखाई नहीं दिया। आसपास के इलाकों से भी चांद की तस्दीक नहीं हुई है। अब 11 अप्रैल को ईदुलफित्र होने की वजह से बाजार में भी अच्छी खासी रौनक देखने को मिली। सुपेला, पावर हाउस और टाउनशिप के मार्केट में लोग रात तक खरीदारी करते रहे।
नमाज का वक्त मुकर्रर
नमाजे ईदुल फित्र के लिए 11 अप्रैल की सुबह का वक्त तमाम मस्जिदों और ईदगाहों में तय कर दिया गया है। इसमें ईदगाह सेक्टर-6 में 8:30 बजे, शेर ए खुदा ईदगाह कैलाश नगर हाउसिंग बोर्ड में 8:15 बजे,गौसिया मस्जिद कैम्प-1 मे 8 बजे,रजा जामा मस्जिद कैम्प-2 में 9 बजे, ईदगाह मैदान बाबा फरीद नगर में 7:30 बजे, भिलाई-तीन ईदगाह में 08:30 बजे, ईदगाह रिसाली में 08:00 बजे, अशरफी मस्जिद जोन 3 में 08:30 बजे, रूआबांधा मस्जिद में 08:30, हनफी मस्जिद कोहका में 08:00 बजे, मरकजी मस्जिद पावरहाउस कैम्प-2 में 8.45 बजे, जामा मस्जिद हुडको भिलाई में सुबह 7.30, मरकज मस्जिद नूर सुपेला में 8.15, एकता नगर भिलाई-3 में 8.45 बजे, फरीद नगर मदनी मस्जिद में 8 बजे, पेट्रोल पम्प के पास भिलाई 3 मस्जिद में 9.20 बजे और मस्जिद अक्सा चरोदा में 9.15 बजे ईदुल फित्र की नमाज पढ़ाई जाएगी।
रमजान की तरह गुजरे हमारे बाकी 11 महीने:डॉ. इस्माइल
भिलाई स्टील प्लांट के सेवानिवृत्त कर्मी और होमियोपैथी चिकित्सक डॉ. सैयद इस्माइल ने माहे रमजान माह विदाई पर कहा कि ये महीना हम सभी को अगले 11 महीने इसी तरह पाबंदी से रहने ओर इबादत करते रहने की तालीम देता है। जिस तरह इस महीने में हम बुराइयों और गुनाहों से दूर रहते हैं और वो केवल ख़ालिक़ ए कायनात (अल्लाह) के डर से करते हैं। बाकी 11 महीने में भी हमे ऐसे ही रहते हुए प्यारे नबी हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम वाली पाक दामनी, सच्चाई वाली जिंदगी और अल्लाह को राजी करने वाले काम के साथ लोगों के हमदर्द, यतीमों के खैरख्वाह, मिस्कीन-ग़रीब के मददगार बनकर जिंदगी गुजारने की तालीम रमजान माह देता है। जिस तरह इस महीने हमने इबादत के जरिए मस्जिदों को आबाद किया बाकी महीनों में भी मस्जिदों को आबाद करना चाहिए। जिस तरह इस महीने पड़ोसियों का ख्याल रखा जो बन पडा सहयोग मदद की है आगे ए काम करते रहना है। जिससे साफ सुथरा समाज बनकर हम इंसानियत के लिए मददगार साबित हो।